ये क्वाइल होता क्या हैं?क्वाइल के कार्य तथा उनकी पहचान? What is a coil
आज हम बात करेंगे कि ये क्वाइल होता क्या हैं? क्वाइल के कार्य तथा उनकी पहचान?
What is a coil
Coil होता क्या हैं और ये कितने प्रकार के होते है और इसका उपयोग कहा कहा होता है इसके बारे में जानेगे |
Coil क्वाइल:-
अगर क्वाइल किसी भी सर्किट में लगा हुआ हैं तो उसे (L) के द्वारा प्रदर्शित किया जाता हैं| और क्वाइल इलेक्ट्रॉनिक्स सर्किट का एक महत्वपूर्ण कम्पोनेन्ट्स होता है। यह हर प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस में आपको यह कम्पोनेन्ट्स आसानी से दिख जायेगा। क्वाइल का प्रयोग फिल्ट्रेशन, सिग्नल को बूस्ट करने के लिए और भी बहुत तरह के काम के लिए उपयोग में लाया जाता है।
Coil क्या है :-
वास्तव में क्वाइल एक तार होता है। जो किसी भी सुचालक पदार्थ का हो सकता है जैसे : ताम्बा, एल्युमीनियम, लोहा इत्यादि। जब इस तार के चारो तरफ कुचालक पदार्थ लगा दिया जाता है। जिसे इंसुलेशन कहते है। जिससे तार इंसुलेटेड तार कहलाता हैं और इसको किसी आधार या बिना आधार के गोल – गोल लपेट दिया जाता है तो इस प्रकार के बने पुर्जे को क्वाइल कहा जाता है। इसुलेशन इसलिए लगाया जाता है ताकि तार को लपेटने पर शार्ट न हो। करंट तार के सिरे से होकर दूसरे सिरे से ही प्राप्त हो सके बीच में रुकावट न हो।
Coil कैसे काम करता है :-
जब किसी भी क्वाइल को AC (परिवर्तनशील विधुत धारा) दी जाती है तो क्वाइल में दी गई सप्लाई के विपरीत पोलरिटी के वोल्टेज उत्पन्न होते है। ये वोल्टेज क्वाइल में दी गई सप्लाई का विरोध करते है।
यदि तार को बिना किसी कोर या कुचालक पदार्थ पर लपेटते है तो उसको एयर कोर कहा जाता है।
आधार या कोर क्या होता है :-
जब क्वाइल को बनाया जाता है तब उसको किसी सुचालक धातु पर लपेटा जाता है तो वह उसका कोर
कहलाता है। आयरन या फेराइट के आधार पर लपेटी जाती है तो वह फैराइट कोर या आयरन कोर कहलाती है।
सरल भाषा में कहे तो इंसुलेटेड तार में AC volts देने पर तार के चारो तरफ मैगनेटिक क्षेत्र बन जाता है जिसमे मैगनेट के दो पोल North pole और South pole बन जाते है। जब तार को लपेटते है तो यह पोलस आपस में एक दूसरे का विरोध करते है। यही क्वाइल का गुण होता है जिसके कारण विरोधी वोल्ट उत्पन्न होते है। इसको इंडक्टेन्स कहते है।
तार की मोटाई लम्बाई और क्षेत्रफल के अनुसार क्वाइल का इंडक्टैंस प्रभावित होता है। ज्यादा लपेटे, मोटाई और क्षेत्रफल, नजदीकी क्वाइल के इंडक्टैंस को बढ़ाते है।
क्वाइल का इंडक्टेन्स ज्यादा होगा यदि क्वाइल की लपेटे ज्यादा है इसी प्रकार यदि लपेटे कम है तो इंडक्टैंस भी कम होगा। कहने का अर्थ यह है की जैसे जैसे इंडक्टैंस बढ़ता जायेगा वैसे वैसे क्वाइल कम फ्रीक्वेंसी को पास करेगी। यदि इंडक्टैंस कम होगा तो coil हाई फ्रीक्वेंसी को पास करेगी।
अगर हम anlog मल्टीमीटर से यदी coil को चेक करते हैं तो सुई बिलकुल भी नहीं हिलती है इस स्थति में coil खराब हैं। यदि coil सही हैं तो मल्टीमीटर की सुई अपने पहले सिरे से चलकर अंतिम सिरे तक जाती हैं |
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Reviewed by vishu_gyan
on
November 22, 2019
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